मैं अब क्या करु वौ एक दिन कहने लगी

अति सर्वत्र विनाशाय
इसी विषय पर मेरै एक मित्र की अनहोनी घटना सुनाता हु


      "लगे आग प्रेम की तब बुझा सके कोय
     छौंड़े जो छुटे नही तो लिपट लिपट कर रोय"

 विनीत सिंह जो मेरा कॉलेज मित्र है वो एक सपना लिऐ शहर आया था की अच्छी नौकरी मिले और कुछ नही 

पर कुछ दिन बाद उसै एक लड़की मिली कॉलेज मे जिसका नाम सुचित्रा था दोनो मिलने लगै और बहार भी घुमने लगै अब बात यह थी की दोनो ने कहा था की बस हम दोस्ती तक ही रहैगें विनीत का परिवार किसी भी समाज की लड़की सै शादी करने की इजाजत नही देता 

अब हर दिन मिलने लगै कभी घुमने जाते कभी फिल्म देखने ,  दोनो एक दुसरे के करिब आने लगै और कहते रहै कुछ नही हौगा हम जब चाहे अलग हो सकते है

कुछ और दिन बिते यु ही फिर तो जेसै वो एक ही हो गयै अब क्या बचा था लड़की विनीत के कमरे पर अक्सर आती थी और काफी समय रहती थी विनीत को यह बात पता नही थी की सुचित्रा सचमुच मे उसे प्यार कर लेती है ,क्यो की सुचित्रा ने विनीत को अब नही बताया था इस गलती के बारे मैं
अच्छा मैं आपसे एक सवाल करता हु की एक लड़की ने अपना सब कुछ लड़के के नाम कर दिया तो भला उसे प्यार होगा या नही वो लड़की कभी किसी लड़के के पास नही गई थी तो उसने पहले बोल दिया था की हम दोस्त रहैगें पर उसे नही मालुम था की यह सब होने के बाद बहुत परेशानी आ जायेगी खैर,

एक दिन विनीत ने कहा की अब मेरा आखरी पैपर है उसके बाद मे घर चला जाऊगा और कही नौकरी करुगा ,और तुम क्या करौगी तब लड़की रोते हुऐ कहने लगी की मैं तुम सै बहुत प्यार करने लगी हु मैं तुम्है नही छौड़ सकती अब मेरी जान बस गई है तुम्हारे अन्दर अब विनीत क्या करे और सुचित्रा क्या करे कुछ समझ नही आ रहा था, विनीत ने कहा की हमारी पहले तो कुछ और बात हुई थी फिर आज अचानक क्यो  तब सुचित्रा कहने लगी अब मैं क्या करु तो विनीत ने कहा मैं तुम्हे नही अपना सकता तुम अभी घर जाऔ और जरा ठंडे दिमाग से सोचौ ,लड़का बैबस था और लड़की लाचार ,

घर जाकर सुचित्रा ने एक खत लिखा जिसमे उसकी और विनीत की सारी बाते थी और उसी रात को फासी लगाकर आत्महत्या कर ली  जब सुबह सबको पता चला तो परिवार के लोगौ ने खत पड़ा सिधा थाने गये वहा से पुलिस विनीत के कमरे पर गई और उसै गिरफतार कर लिया फिर कोर्ट मे पेश किया और सजा हो गई पता नही कितने दिनो की परंतु मेरै ख्याल से सात साल तक की तो जरुर हुई होगी 

अब बात यह है मित्रौ की किसी की जिन्दगी से खेलते खेलते कही आपकी ही जिन्दगी र्बबाद न हो जाये तो मेरा यह कहना है आप सभी से की कभी भी अधुरे रिस्ते मे न बंधे    ... जेसा विनीत के और सुचित्रा के साथ हुआ वेसा आपके साथ न हो ...... मित्रौ....... अर्जुन प्रताप मेवाड़ा

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